@PATI-PATNI KA RISHTA@feel this poem
चलो आज बात कुछ यु कर ले, अपने-अपने दायरों का हिसाब कर ले. तेरे हिस्से मे कितना तु आता है मेरे हिस्से मे कितनी मे चलो आज यह बात भी साफ कर ले. सवाल यह है कि तेरे हिस्से मे जवाब ही क्युं मेरे हिस्से मे सवाल ही क्युं तेरे हिस्से में पूरी मर्जी तेरी मेरे हिस्से में सिर्फ इजाजत ही क्युं तुम्हें नही लगता यह जायज नही तेरे हिस्से में सिर्फ तु. मेरे हिस्से में पूरी महफिल में. क्युं न रिश्ते की इस दोहरे चेहरे की धुल साफ कर ले. अपने-अपने दायरो का हिसाब कर ले सवाल यह है कि मुझे मेरे हिस्से में जीने के लिए तेरी इजाजत की जरूरत क्यु है हर रोज तेरी हाँ और ना के बीच घुटते रहने की जरूर क्युं है इस सारे कायदे . सारे बोझ मेरे हिस्से में क्युं है मेरा हिस्सा तेरी तंग दिल इजाजत का मोहताज क्युं है जब हिस्से बराबर है तो दस्तुर क्यु नही तु भी मेरी इजाजत की घुटन का बोझ उठाने के लिए मजबुर क्यु नही सवाल तो बहुत है पर असली सवाल तो यही है मेरे हिस्से में जवाब ,तेरे हिस्से में सवाल क्युं नही|
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